• प्रधान न्यायालयबाट भएका फैसलाहरुमा प्रयुक्त भाषा बोधगम्य रूपमा जस्ताको त्यस्तै उतार गरिएको हुँदा हाल प्रचलित नेपाली लेख्य भाषा भन्दा फरक देखिएको छ । साथै यस खण्डमा उतार गरिएका फैसलाहरू जानकारी प्रयोजनका लागि मात्र भएकोले उक्त फैसलाहरूको आधिकारिकताको लागि सम्बन्धित सक्कल फैसलाहरू नै अध्ययन गर्नुहुन अनुरोध छ । !!!
  • प्रधान न्यायालयबाट भएका फैसलाहरुमा प्रयुक्त भाषा बोधगम्य रूपमा जस्ताको त्यस्तै उतार गरिएको हुँदा हाल प्रचलित नेपाली लेख्य भाषा भन्दा फरक देखिएको छ । साथै यस खण्डमा उतार गरिएका फैसलाहरू जानकारी प्रयोजनका लागि मात्र भएकोले उक्त फैसलाहरूको आधिकारिकताको लागि सम्बन्धित सक्कल फैसलाहरू नै अध्ययन गर्नुहुन अनुरोध छ । !!!

निर्णय नं. ४१७ - लेंदें जालसाजी

साल: २०१० महिना: भाद्र फैसला मिति :२०१०/०५/२६ ८७

४१७

नेपाल प्रधान न्यायालय सिङ्गल वेञ्च

अ.नं.१२५

अपीलाट् वादी हीरा श्रेष्ट का.ई. भींसेंथान        विपक्ष वादी पु.१ नं. का.प. ई. धुलीषेल फुटोल वस्ने सुन्दरलाल श्रेष्ट

मुद्दा :- लेंदें जालसाजी

ईजलास

श्री माननीय न्यायाधीस भैरवराज पंत पाध्या

फैसला

-----२००५ साल मार्ग १ गते म वाट देसी नोट् रु.४००१। ली पूर्व पश्र्चीं उत्तर दक्षीण----- १४१।१३३ नं.का पोता लगतमा दर्ता भयाको पोत रु. ५७९ लागेको ज्याठा वीरता ---- जगा --------साल २००५।६।९।६ मा नामसारी रसीद वमोजीं मलाई भोगवंधकी दी २००५।८।८ मा राजीनामा पास गरी दीयाकोले भोग चलं गर्न जादा प्र. हीरा श्रेष्टले यो जगा मलाई भोगवंधक दीयेको------- चलेको छ मुदा नछीनी चलं गर्न दींन भनी न दीयेकोले वुझदा २००५ साल आषाड २६ गते-----------१५०१। को भोगवंधकी तमसुक पास गरी दीयेन पास गराई पाउँ भंने रा.का. ------मा नालेस------------वाट पास गर्ने ठहराई ०६।३।८ मा फैसला भै ०६। ५।३० मा १तर्फी पास गरा२ लीयाको ०६९।१४-------- सारी लीयाकोवाट थाहा पायेकोले नालेस गर्न आयेको छु। २००५ साल आषाड २६ गते नै------------लेषीयेको भये मौकैमा पास हुनु पर्ने सो नभयेवाटै मेरो रुपैञा वीगारनाको नींती घरसार------------- भन्दा अधाडीको मीती पारी जालसाजी तमसुक खडागरेको भंने षथारथ देषीने हुदा नींज------- हीरा श्रेष्टको दावी षीचोला मेटाई चलंन चलाई पाउ भंने वादी ।

-------भीत्र पास गर्ने गरी २००५।३।२६मा वेपार गर्नाके भनी मोरु.१५०१। हीराले लीयेको म्याद ---पास गरी नदीयेकोले म्याद गुज्रेका ३५ दीं भीत्र  पास गराई पाउ भनी  नालेस गरेमा १---- भयेको र मोहीहरुको कवुलीयेत स्मेत गराई खाई आयेको जगामा वादीले  दोहरा पारी लीदै----------- वेगर र वर्षदीन नाधीसकेको नालेस स्मेत भयेकोले साहु असामीका २ क.नं.का ----ले ---------सकने हुदा हक ईन्साफ गरी पाउ भन्ने प्रतेवादी ।

---------- ९ गते मात्र नामसारी भयको र वादीको लीषत पास हुनु भन्दा अघाडी प्रतेवादीको---------- कुनै अडा षानामा पेस दाषील भयेको नदेषीयेकोल ०५ साल मार्ग ८ गते भंदा पछी प्रते---------हरु मीली वादीको भंदा अधीको मीती पारी लेषाई लीयेको देषीन आउने भै २००६ साल------------- गते मात्र प्रतेवादी हीराको तमसुक पास भयकोले रजीष्टेसनका ३२ नं. वमोजीं वर्ष दीं भीत्रै-------- नालेस परेको हुदा प्र. हीराको लीषत जालसाजी ठहर्छ भंने रा.का. दे. डी.को फैसला ।

------वंधकीमा वर्ष दीन भीत्र भोग गर्नु------- नालेस गर्न नसके कपाली हुंछ भंने – छदा छदै१५----------छीको नालेसली वादीको हक----- गरी दीयेकोले चीत्त वुझेन भंने प्र. हीराको अपील पत्र ।  

 वावुका नाउवाट नाउसारी गराई सो रसीद वादीले ली ०५।८।८मा रजीष्टेसं पास------------- येको देषीयेकाले ईन्साफ सरुकव सदर भंने अपील पैल्हा फाटको फैसला ।

----------- लेषाई लीयेका वर्ष दीन भीत्र भोग गर्नु पर्ने वर्ष दीन भीत्र भोग गर्न नसके पछी कपाली--------- साहु आसामीको २ क. नं. को ---- छदा छदै वादीको हक कायें गरी दीयेको हुदा चीत्त वुझेन--------- हीराको अपील पत्र

 वादीको लिषत जालसाजी भंने उजुर वाजुर नभयेकोवाट स्मेत सदे साचोनै देषीयेको र प्रतेवादी-----------को लीषत जालसाजी भंने हकमा २००५।३।२६मा -----का म्याद भीत्र पास गरी घरसारमा----------- भै आसामी----------ले पास गरी नदीयेवाट २००५।१०।१७मा नालेस परी एकतर्फी फैसला भै---------भयेको प्रमाण मीसीलवाट देषीयेको र २००५ साल आषाड मै मोहीहरुको कवुलीयत-----------५ सालको वाली देषी वाली स्मेत षाई आयको खाता  वहीको टीपंका वेहोरावाट देषीन आये------ प्रतेवादीको लीषत पनी जालसाजी भंन नभै सदेसाचो वेवहार नै देषीन आयेको र --------------------- लाई अपीलवाटै दंड भै सकेकोले केही गरन परेन अरु देहाये -------- देहाये वमोजीं गर्न लगत दी मिसिल मीसीलफाँटमा वुझाई दिनु ।

तपसील

------वादी प्रतेवादी के प्रतेवादीकव वेवहार जालसाजी भनी वादीले र म्याद भीत्रको उजुर न---------कोले वादीको उजुर लाग्न नसकने भनी प्रतिवादीले भनेमा नीजहरुको उजुर पुगन नसकने भयेकोले ------------- घटीवढी पारेको भंन परेको हुदा साहु असामीका १४ नं. वमो----------- तजवीजी मोरु ५। पाँचका दरले दंड हुंछ रुजु हुदा असुल गर्न लगत दीनु--------------------------------------------------------------------------------------------------१

-------सुन्दरलाल श्रेष्ट पु.१ नं. का.प.ई. धुलीषेल कुटाल के--------------------------------------------------५।

------ वादी हीरा श्रेष्ट का.ई. भींसें थान के ------------------------------------------------------------------५।–

----------- प्रतेवादी के प्र. हीरा श्रेष्टको लीषत रा.का.उ.डी. को ०७।१२।१५।४का फैसलाले जालसाजी----- ठहराई लीने  गरेको देहायेको दंड हाल लीषत जालसाजी नठहरेकोले नलागने हुदा असु भये फीरता नभये वेहोरा जनाई लगत कट्टा गरी दीनु भनी लगत दीने -----------------------------------------------------------------------२

-------हीरा श्रेष्ट का.ई. भींसें थान के ------------------------------------------------------------------६८।३५

-------चीनीमाया तुलाधरनी का.ई. तलाछीटोल के--------------------------------------------------------६८।३५

---------------- घर ऐ ऐ --------------------------------------------------------------------------६८।३५

-------------हीरा श्रेष्ट का.ई. भींसें थान के  अ.पै.का०८।५।७।५ का फैसलाले लेखत अधीको मितीमा-------लेषत खडा गरेमा  भनी गरेको दंड मोरु.५। पाँच लेषत सदेनै ठहरेकाले नलागने हुदा  ऐ ऐ ---------------------------३

-----------लीने साहु हीरा श्रेष्टको थैली मोरु १५०१।का हकमा पछि लीने साहु संदरलाले साहु----------------- को २७ नं.का -----का म्याद३५ दीं भीत्र तीरी जगा लीन पाउछ सो थैली दाखील गरे सो थैली------------  साहु हीरा श्रेष्टलाई वुझाई दीने गरी धरौट् राषी लीन आयेमा साहु असामी---५२ क.नं. र ऐ ५३ नं. वमोजीं दसौद वीसौद नली भरी भराउ गरी दीनु भनी----------फाटमा लगत दीने-----------                --------------------------४

--------- देहायका मानीस के प्रतेवादी हीरा श्रेष्टको सदे साचो वेवहारको तमसुक---------लाई जालसाजी ठहराई गलटी ईन्साफ गरेमा हा.का. ११ नं.ले तजवीजी मोरु १ । एकका दरले------------मा हुन्छ देहाये वमोजीं असुल गर्न लगत दीने----------------------------------------------------------------------------------------------------------५

--------------- मागै देवानी-------- फाट के मोरु-------------------------------------------------------------१।

---------लक्ष्मण रमण उप्रेती पु.नं.१ नै भुगलु हलेदे के -----------------------------------------------------।५०

-------गुणराज पाध्या का.ई. चंडोल के--------------------------------------------------------------------।३०

---------षील सर्मा तीमीलसीना भ.पु. कटुंजे के -------------------------------------------------------------।३०

-----------अपील पैल्हा फाट के मोरु.---------------------------------------------------------------------१।

--------- संकर प्रसाद रीजाल धंकुटा धरान के ------------------------------------------------------------।५०

----------रामगोपाल श्रेष्ट का.ई.-------- के---------------------------------------------------------------।३०

----------पसुपतीभक्त पाध्या पाठक का.ई. छेत्रपाटी के-----------------------------------------------------।३०

                                                                    न्यायाधीश

ईतिसम्वत

 

 

फैसलाहरु

निर्णय नं मुद्दाको विषय फैसला मिति मुद्दा नं
७२१ लीखत पास 2017/04/04 563
६७९ लेनदेन 2015/07/18 410
९४ करकाप २०१४/०२/०२ फौनं ६७
६५१ खर्क जगाडोहरा २०१२/०४/३१ ..
४१५ लेनदेन 2011/04/21 1004

धेरै हेरिएका फैसलाहरु

निर्णय नं मुद्दाको विषय फैसला मिति मुद्दा नं
९४ करकाप २०१४/०२/०२ फौनं ६७
०१ बाटो खुलाई पाउँ २००९/०४/२७ संवत् २००९ को दे/फौ.पु./रीट नं.२४ नि.नं.
०२ पसलबाट उठाई पाँउ २००९/०४/३१ अभिलेख द नं 2/09बर्ष 2009 दे.नं .722
६५१ खर्क जगाडोहरा २०१२/०४/३१ ..
७२१ लीखत पास 2017/04/04 563