निर्णय नं. ४१७ - लेंदें जालसाजी
४१७
नेपाल प्रधान न्यायालय सिङ्गल वेञ्च
अ.नं.१२५
अपीलाट् वादी हीरा श्रेष्ट का.ई. भींसेंथान विपक्ष वादी पु.१ नं. का.प. ई. धुलीषेल फुटोल वस्ने सुन्दरलाल श्रेष्ट
मुद्दा :- लेंदें जालसाजी
ईजलास
श्री माननीय न्यायाधीस भैरवराज पंत पाध्या
फैसला
-----२००५ साल मार्ग १ गते म वाट देसी नोट् रु.४००१। ली पूर्व पश्र्चीं उत्तर दक्षीण----- १४१।१३३ नं.का पोता लगतमा दर्ता भयाको पोत रु. ५७९ लागेको ज्याठा वीरता ---- जगा --------साल २००५।६।९।६ मा नामसारी रसीद वमोजीं मलाई भोगवंधकी दी २००५।८।८ मा राजीनामा पास गरी दीयाकोले भोग चलं गर्न जादा प्र. हीरा श्रेष्टले यो जगा मलाई भोगवंधक दीयेको------- चलेको छ मुदा नछीनी चलं गर्न दींन भनी न दीयेकोले वुझदा २००५ साल आषाड २६ गते-----------१५०१। को भोगवंधकी तमसुक पास गरी दीयेन पास गराई पाउँ भंने रा.का. ------मा नालेस------------वाट पास गर्ने ठहराई ०६।३।८ मा फैसला भै ०६। ५।३० मा १तर्फी पास गरा२ लीयाको ०६९।१४-------- सारी लीयाकोवाट थाहा पायेकोले नालेस गर्न आयेको छु। २००५ साल आषाड २६ गते नै------------लेषीयेको भये मौकैमा पास हुनु पर्ने सो नभयेवाटै मेरो रुपैञा वीगारनाको नींती घरसार------------- भन्दा अधाडीको मीती पारी जालसाजी तमसुक खडागरेको भंने षथारथ देषीने हुदा नींज------- हीरा श्रेष्टको दावी षीचोला मेटाई चलंन चलाई पाउ भंने वादी ।
-------भीत्र पास गर्ने गरी २००५।३।२६मा वेपार गर्नाके भनी मोरु.१५०१। हीराले लीयेको म्याद ---पास गरी नदीयेकोले म्याद गुज्रेका ३५ दीं भीत्र पास गराई पाउ भनी नालेस गरेमा १---- भयेको र मोहीहरुको कवुलीयेत स्मेत गराई खाई आयेको जगामा वादीले दोहरा पारी लीदै----------- वेगर र वर्षदीन नाधीसकेको नालेस स्मेत भयेकोले साहु असामीका २ क.नं.का ----ले ---------सकने हुदा हक ईन्साफ गरी पाउ भन्ने प्रतेवादी ।
---------- ९ गते मात्र नामसारी भयको र वादीको लीषत पास हुनु भन्दा अघाडी प्रतेवादीको---------- कुनै अडा षानामा पेस दाषील भयेको नदेषीयेकोल ०५ साल मार्ग ८ गते भंदा पछी प्रते---------हरु मीली वादीको भंदा अधीको मीती पारी लेषाई लीयेको देषीन आउने भै २००६ साल------------- गते मात्र प्रतेवादी हीराको तमसुक पास भयकोले रजीष्टेसनका ३२ नं. वमोजीं वर्ष दीं भीत्रै-------- नालेस परेको हुदा प्र. हीराको लीषत जालसाजी ठहर्छ भंने रा.का. दे. डी.को फैसला ।
------वंधकीमा वर्ष दीन भीत्र भोग गर्नु------- नालेस गर्न नसके कपाली हुंछ भंने – छदा छदै१५----------छीको नालेसली वादीको हक----- गरी दीयेकोले चीत्त वुझेन भंने प्र. हीराको अपील पत्र ।
वावुका नाउवाट नाउसारी गराई सो रसीद वादीले ली ०५।८।८मा रजीष्टेसं पास------------- येको देषीयेकाले ईन्साफ सरुकव सदर भंने अपील पैल्हा फाटको फैसला ।
----------- लेषाई लीयेका वर्ष दीन भीत्र भोग गर्नु पर्ने वर्ष दीन भीत्र भोग गर्न नसके पछी कपाली--------- साहु आसामीको २ क. नं. को ---- छदा छदै वादीको हक कायें गरी दीयेको हुदा चीत्त वुझेन--------- हीराको अपील पत्र
वादीको लिषत जालसाजी भंने उजुर वाजुर नभयेकोवाट स्मेत सदे साचोनै देषीयेको र प्रतेवादी-----------को लीषत जालसाजी भंने हकमा २००५।३।२६मा -----का म्याद भीत्र पास गरी घरसारमा----------- भै आसामी----------ले पास गरी नदीयेवाट २००५।१०।१७मा नालेस परी एकतर्फी फैसला भै---------भयेको प्रमाण मीसीलवाट देषीयेको र २००५ साल आषाड मै मोहीहरुको कवुलीयत-----------५ सालको वाली देषी वाली स्मेत षाई आयको खाता वहीको टीपंका वेहोरावाट देषीन आये------ प्रतेवादीको लीषत पनी जालसाजी भंन नभै सदेसाचो वेवहार नै देषीन आयेको र --------------------- लाई अपीलवाटै दंड भै सकेकोले केही गरन परेन अरु देहाये -------- देहाये वमोजीं गर्न लगत दी मिसिल मीसीलफाँटमा वुझाई दिनु ।
तपसील
------वादी प्रतेवादी के प्रतेवादीकव वेवहार जालसाजी भनी वादीले र म्याद भीत्रको उजुर न---------कोले वादीको उजुर लाग्न नसकने भनी प्रतिवादीले भनेमा नीजहरुको उजुर पुगन नसकने भयेकोले ------------- घटीवढी पारेको भंन परेको हुदा साहु असामीका १४ नं. वमो----------- तजवीजी मोरु ५। पाँचका दरले दंड हुंछ रुजु हुदा असुल गर्न लगत दीनु--------------------------------------------------------------------------------------------------१
-------सुन्दरलाल श्रेष्ट पु.१ नं. का.प.ई. धुलीषेल कुटाल के--------------------------------------------------५।
------ वादी हीरा श्रेष्ट का.ई. भींसें थान के ------------------------------------------------------------------५।–
----------- प्रतेवादी के प्र. हीरा श्रेष्टको लीषत रा.का.उ.डी. को ०७।१२।१५।४का फैसलाले जालसाजी----- ठहराई लीने गरेको देहायेको दंड हाल लीषत जालसाजी नठहरेकोले नलागने हुदा असु भये फीरता नभये वेहोरा जनाई लगत कट्टा गरी दीनु भनी लगत दीने -----------------------------------------------------------------------२
-------हीरा श्रेष्ट का.ई. भींसें थान के ------------------------------------------------------------------६८।३५
-------चीनीमाया तुलाधरनी का.ई. तलाछीटोल के--------------------------------------------------------६८।३५
---------------- घर ऐ ऐ --------------------------------------------------------------------------६८।३५
-------------हीरा श्रेष्ट का.ई. भींसें थान के अ.पै.का०८।५।७।५ का फैसलाले लेखत अधीको मितीमा-------लेषत खडा गरेमा भनी गरेको दंड मोरु.५। पाँच लेषत सदेनै ठहरेकाले नलागने हुदा ऐ ऐ ---------------------------३
-----------लीने साहु हीरा श्रेष्टको थैली मोरु १५०१।का हकमा पछि लीने साहु संदरलाले साहु----------------- को २७ नं.का -----का म्याद३५ दीं भीत्र तीरी जगा लीन पाउछ सो थैली दाखील गरे सो थैली------------ साहु हीरा श्रेष्टलाई वुझाई दीने गरी धरौट् राषी लीन आयेमा साहु असामी---५२ क.नं. र ऐ ५३ नं. वमोजीं दसौद वीसौद नली भरी भराउ गरी दीनु भनी----------फाटमा लगत दीने----------- --------------------------४
--------- देहायका मानीस के प्रतेवादी हीरा श्रेष्टको सदे साचो वेवहारको तमसुक---------लाई जालसाजी ठहराई गलटी ईन्साफ गरेमा हा.का. ११ नं.ले तजवीजी मोरु १ । एकका दरले------------मा हुन्छ देहाये वमोजीं असुल गर्न लगत दीने----------------------------------------------------------------------------------------------------------५
--------------- मागै देवानी-------- फाट के मोरु-------------------------------------------------------------१।
---------लक्ष्मण रमण उप्रेती पु.नं.१ नै भुगलु हलेदे के -----------------------------------------------------।५०
-------गुणराज पाध्या का.ई. चंडोल के--------------------------------------------------------------------।३०
---------षील सर्मा तीमीलसीना भ.पु. कटुंजे के -------------------------------------------------------------।३०
-----------अपील पैल्हा फाट के मोरु.---------------------------------------------------------------------१।
--------- संकर प्रसाद रीजाल धंकुटा धरान के ------------------------------------------------------------।५०
----------रामगोपाल श्रेष्ट का.ई.-------- के---------------------------------------------------------------।३०
----------पसुपतीभक्त पाध्या पाठक का.ई. छेत्रपाटी के-----------------------------------------------------।३०
न्यायाधीश
ईतिसम्वत